Total Pageviews

Saturday, 19 November 2016

Islam ki jankaari hindi

े हुक्म से हजरत मुहम्मद सल्ल. ने हीइस्लाम धर्मको लोगों तक पहुँचाया है। आप हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं,आप के बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला।इस्लाम के आने से पहले अरब में कबिलाई संस्कृति का जाहिलाना दौर था। हर कबीलेका अपना अलग धर्म था और उनके देवी-देवताभी अलग ही थे। कोई मूर्ति पूजक था तो कोई आग को पूजता था। यहुदियों और ईसाईयों के भी कबीले थे,लेकिन वे भी मजहब के बिगाड़ का शिकार थे। ईश्वर (अल्लाह) को छोड़कर लोग व्यक्ति और प्रकृति पूजा में लगे थे।इस सबके अलावा भी पूरे अरब में हिंसा काबोलबाला था। औरतें और बच्चे महफूज नहींथे। लोगों की जान-माल की सुरक्षा की कोईग्यारंटी नहीं थी। सभी ओर बदइंतजामी थी। इस अंधेरे दौर से दुनिया को बाहर निकालने के लिए अल्लाह ने इस्लाम को लोगों तक पहुँचाने के लिए हजरत मोहम्मदसाहब सल्ल. को पैगंबर बनाकर दुनिया में भेजा।जन्म :कुछ विद्वानों के मुताबिक इस्लाम के संस्थापक पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब सल्ल. का जन्मदिन हिजरी रबीउल अव्वल महीने की 2 तारीख को मनाया जाता है। 571 ईसवी को शहर मक्का में पैगंबर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म हुआ था। मक्कासऊदी अरबमें स्थित है।आप सल्ल. के वालिद साहब (पिता) का नाम अब्दुल्ला बिन अब्दुल्ल मुतलिब था और वालिदा (माता) का नाम आमना था। सल्ल. के पिता का इंतकाल उनके जन्म के दो माह बादही हो गया था। ऐसे में उनका लालन-पालन उनके चाचा अबू तालिब ने किया। आपके चाचा अबू तालिब ने आपका खयाल उनकी जान से भी ज्यादा रखा।NDइबादत और इलहाम :आप सल्ल. बचपन से ही अल्लाह की इबादत में लगे रहते थे। आपने कई दिनों तक मक्का की एक पहाड़ी 'अबुलुन नूर'पर इबादत की। चालीस वर्ष की अवस्था में आपको अल्लाह की ओर से संदेश (इलहाम) प्राप्त हुआ।अल्लाह ने फरमाया,ये सब संसार सूर्य,चाँद,सितारे मैंने पैदा किए हैं। मुझे हमेशा याद करो। मैं केवल एक हूँ। मेरा कोई मानी-सानी नहीं। लोगों को समझाओ। हजरत मोहम्मद साहब ने ऐसा करने का अल्लाह को वचन दिया,तभी से उन्हें नुबुवत प्राप्त हुई।कुरआन :हजरत मोहम्मद साहब पर जो अल्लाह की पवित्र किताब उतारी गई है,वह है- कुरआन। अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया। उस संदेश को ही कुरआन में संग्रहित किया गया हैं। कुरआन को नाजिल हुए लगभग 14 सौ साल हो गए लेकिन इस संदेश में जरा भी रद्दोबदल नहीं है।सबसे पहले ईमान :नबूवत मिलने के बाद आप सल्ल. ने लोगों को ईमान की दावत दी। मर्दों में सबसे पहले ईमान लानेवाले सहाबी हजरत अबूबक्र सिद्दीक रजि. रहे। बच्चों में हजरत अली रजि. सबसे पहले ईमान लाए और औरतों में हजरत खदीजा रजि. ईमान लाईं।वफात : 632ईस्वीं, 28सफर हिजरी सन 11को 63 वर्ष की उम्र में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने मदीना में दुनिया से पर्दा कर लिया। उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बँध चुका था औरआज पूरी दुनिया में उनके बताए तरीके पर जिंदगी गुजारने वाले लोग हैं।

No comments:

Post a Comment